Saturday, December 3, 2011

दोस्ति का वो एक पल हम कैसे भुला देते,

दोस्ति का वो एक पल हम कैसे भुला देते,
मिले थे इतने वक़्त के बात तो उन्हे हम कैसे रुला देते,
सच तो ये था कि मोहब्बत अभि भि सिर्फ उन्हि से थि मेरे दिल मे ,
मगर वो हमे नहि चह्ते थे तो हम उन्हे कैसे बता देते,
मिले थे इतने वक़्त के बाद तो हम उन्हे कैसे रुला देते,
खुश थे वो उन्हे पाकर जिन्हे वो मोहब्बत करते थे,
मगर हम भि थे खुश क्युंकि हम उनको मोहाब्बत जो करते थे.
रोना तो आ रहा था हमे उंनकि खुसि मे,
मगर वो एक पल को मिले थे तो हम उन्हे कैसे रुला देते,
सांसे तो थम सि गयि थि जुबा भि लड्खडा रहे थे,
मगर उनकि खुशि मे हम भि खुशि के गीत गा रहे थे,
वक़्त हि नहि दिया उन्होने एक वक़्त को इकरार करने का,
और मिले भि जब इत्तने दिनो बाद,
तो वक़्त हि नहि मिला उन्हे गले लगा रोने का,
भीग रहि थि पलके मेरी और हम मुस्कुराये जा रहे थे,
वो खुश हो रहे थे हमे गाता देख कर,
हम जाम मे डुबो के खुद को दर्द मे गा रहे थे,
ये खुशि का पल था उंके लिये मगर हम तो मर मर के जि रहे थे,
वो हमारा दिल हि जनता है कि दोस्ति का कर्ज हम कैसे अदा कर रहे थे,
मिले थे वो एक पल को और हम उन्हे कैसे बता देते ,
वक़्त हि नहि दिया उन्होने वरना हम उनको अपना दिल चीर के दिखा देते,
किस्मत ने नहि दिया मौका वरना तो हम उनको अपना प्यार कह देते,
पहले वो मेरे दोस्त थे मेरे और बाद मे प्यार ये हम कैसे भुला देते,
दोस्ति का वो एक पल हम कैसे भुला देते,
मिले भि तो एक पल को तो हम उन्हे कैसे रुला देते,
कह्ते है जिन्हे हम दोस्त उन्हे हम कैसे रुला देते...!!

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 3 DEC २०११ (दोपहर 3 बजकर 45मिनट)

No comments:

Post a Comment

Here Please Comment Upon My Shayri.....!

Thanks & Regards By- Roshan Dhar Dubey
[Email Id-rddubeyup@gmail.com]