Friday, December 2, 2011

ये कम्बखत प्यार कैसा है जो अपने प्यार से घबडाता है,


ये कम्बखत प्यार कैसा है जो अपने प्यार से घबडाता है,
दर्द दिल मे होता है और आंसु आंख मे आता है,

परछायि जो पड जाये उसकि तो दिल खुशियो से खिल जाता है,
प्यार हि एक ऐसा झोका है जो आते जाते हर वक़्त रुलाता है,

अब तो ना नीद आती है और ना ही चैन आता है,
जागे या सोये मगर हर पल मे प्यार बडता जाता है.

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 2 DEC २०११ (रात्रि 10 बजकर 25 मिनट)

No comments:

Post a Comment

Here Please Comment Upon My Shayri.....!

Thanks & Regards By- Roshan Dhar Dubey
[Email Id-rddubeyup@gmail.com]