इश्क का इस्तेहार
आज मेरे दिल मे एक खयाल आया है,
इश्क करने का मुझ पर भि खुमार छाया है,
समझ नहि आता कि कैसे करु किसि लडकि को प्रपोज,
क्युंकि किसि ने गालि तो किसि के जिम्मे मौत आया है,
बहुत सोचा और दिल को भि समझाया है,
मगर आज ये दिल ए नादान आपनि हि करने पे आया है,
बुखार तो है ये इश्क के खुमार का,
जिसे बिना दवा कहां सुकुन आया है,
दोस्तो को इश्क मे हारते देखा है मेरे दिल ने,
मगर आज इसे भि किसि का दिल जितने का खयाल आया है,
बहुत सोचा कि कैसे मिलेगि मेरे दिल को वो हसिना,
जिसकि चाहत मे मेरा दिल भि इश्क मे खोने आया है,
यहि सोच कर मेंने भि पेपर मे एक इस्तेहार छ्पवाया है,
जिस किसि को भि हो मै पसंद उसके दरवाजे पे मेरा बुलावा आया है,
मेरी उमर है 21 साल कि और 5 फिट 4 इंच कि कद काया है,
रहने वाला हु मै महराजगंज नगर का और गाजियाबाद को आया है,
मन मे है एक सपना मेरे साफ्ट्वेयर इंजिनीयर बनने का,
यहि सोच रोशन एम.सि.ए. करने को इग्नु युनिवर्सिटि मे आया है,
जिसको भि हो मेरी जरुरत वो मिले मुझसे इसि वक़्त,
क्युंकि इश्क कि दुनिया मे हु नया और मुझे हजारो का खत आया है,
रहेगा आपके भि खतो का इंतेजार इसि महिने कि 30 तक,
क्युंकि वक़्त कहा है मेरे दिल को ज्यादा ये अपनि हि करने पे आया है,
दिया है इस्तेहार इश्क का क्युंकि मेरे दिल पे इश्क का बुखार छाया है..!
लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 11 दिसम्बर २०११ (सुबह 10 बजकर 5मिनट)
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