Wednesday, November 16, 2011

उमर का ये पडाव कैसा है?

उमर का ये पडाव कैसा है?
जहां सब कुछ तो है, फिर भि अकेलेपन का दिल पे घाव कैसा है?

अपना तो हर कोई है आंखो के सामने,
फिर भि आंखो मे एक इंतेजार कैसा है?

चाहते तो है सबको एक बराबर इसी दिल से,
फिर भि ये चाहत का एक नया अंदाज कैसा है?

बचपन से आज तक जो रोता था मै आंखो मे आंसुओ को लेकर,
आज मेरा ये दिल ही दिल मे रोने का अंदाज कैसा है?

जो कभी ना बोल पाया अपने चाहने वालो से,
वो आज बोलने को मेरा दिल तरसता है,

ये आज अचानक ये मेरे दिल क हाल कैसा है?

लेखक : रोशन धर दुबे
सयरी लिखने का सहि समय: 16 नवम्बर 2011 (दोपहर 3:14)

No comments:

Post a Comment

Here Please Comment Upon My Shayri.....!

Thanks & Regards By- Roshan Dhar Dubey
[Email Id-rddubeyup@gmail.com]