एक शहर वो भि था, और एक शहर ये भि है,
एक ज़िन्दगि कल गुजारा था, और एक आज भि गुजर रहा है !
वो अपनो का शहर था, और ये आज मेरे सपनो का शहर है,
वो जो अपनो के संग खुस था, वो सपनो मे ना जाने किधर है !!
सपने तो ना मिले अब तक, मगर अपने दूर हो गये है,
आया था कुछ पाने यहाँ पर, मगर मेरे सपने हि मुझसे खो गये है !!!
(इस सायरी का उद्देश्य लोगो को ये बताना है कि कहि अपने को खुशि देने कि कोशिश मे आप अपने चाहने वालो से दूर मत हो जाना )
लेखक :: रोशन धर दुबे
तिथि :: 25 नवम्बर 2011
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