Sunday, December 25, 2011

ठहर जा ओ गम के बादल.........

ठहर जा ओ गम के बादल ठहर जा,
अब तुझमे वो कल जैसि ताकत नहि,

वक़्त तो बदलता है हर किसि के लिये,
एक तु हि खुदा कि लिखि अकेलि इबादत नहि,

ठहर जा ओ गम के बादल ठहर जा,
अब तुझमे वो कल जैसि ताकत नहि,

तेरा भि अंत होगा हर एक कालि परछायि कि तरह,
पुरी जिंदगि अंधेरा मे जिये ऐसे उजाले हम नहि,

भिगते तो है तुझसे सब मगर,
हर बार जो भीगे वो साहिल हम नहि,

ठहर जा ओ गम के बादल ठहर जा,
अब तुझमे वो कल जैसि ताकत नहि,

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन दिनाक : 25 दिसम्बर 2011 (दोपहर 11:40 )

Sunday, December 18, 2011

****सभि दोस्तो और दुस्मनो को सुभ प्रभात****

कहां से लायें वो शब्द,
जो आपके दिल को छु जाये,
कैसे मिले हम आपसे एक पल मे,
कि आपको हजार पल कि खुशियां दे जाये..!!

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन दिनांक : 18 दिसंम्बर 2011

Wednesday, December 14, 2011

किसि को एक पग मे सहारा मिल जाता है,

किसि को एक पग मे सहारा मिल जाता है,
तो किसि से एक पग पे हि सहारा छिन जाता है,

अक्सर जिन गलियो से गुजरते है हम,
वहां कोइ ना कोइ दिल से हारा मिल जाता है,

बेचैन होता है कोइ किसि के लिये,
तो कोइ आंखो मे आंसु लिये मिल जाता है,

किसि को जिंदगि भर के लिये मिलति है खुशियां,
तो किसि के हिस्से मे दो पल हि खुशि का आता है !

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 14 दिसम्बर २०११ (सायकाल 8 बजे)

Monday, December 12, 2011

वो वक़्त कि धारा क्यु पलट गयि,

वो वक़्त कि धारा क्यु पलट गयि,
और क्यु तुम बदल गये,

हमसे क्या खता हुई जो,
तुम हमारी चाहत को भि खुद से बेदखल कर गये,

याद आती है हमको तुम्हारि हर पल,
जाने किस जहाँ मे हमे छोड तुम ढल गये,

लौट आओ मेरे खातिर इन सुनि गलियो मे,
तुम बिन ना जाने क्युं हम अपनी खुशियो को निगल गये..!
लेखक: रोशन दुबे (समय: 7:47 रात्रि)

कुछ उनसे लिखा , कुछ खुद से लिखा,

कुछ उनसे लिखा , कुछ खुद से लिखा,
जब जब याद आयि मुझको उनकि,
तब तब खत उनको अपने खून से लिखा...!
लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 12 दिसम्बर २०११ (सुबह 7 बजकर 30मिनट)

Sunday, December 11, 2011

इश्क का इस्तेहार

इश्क का इस्तेहार

आज मेरे दिल मे एक खयाल आया है,
इश्क करने का मुझ पर भि खुमार छाया है,

समझ नहि आता कि कैसे करु किसि लडकि को प्रपोज,
क्युंकि किसि ने गालि तो किसि के जिम्मे मौत आया है,

बहुत सोचा और दिल को भि समझाया है,
मगर आज ये दिल ए नादान आपनि हि करने पे आया है,

बुखार तो है ये इश्क के खुमार का,
जिसे बिना दवा कहां सुकुन आया है,

दोस्तो को इश्क मे हारते देखा है मेरे दिल ने,
मगर आज इसे भि किसि का दिल जितने का खयाल आया है,

बहुत सोचा कि कैसे मिलेगि मेरे दिल को वो हसिना,
जिसकि चाहत मे मेरा दिल भि इश्क मे खोने आया है,

यहि सोच कर मेंने भि पेपर मे एक इस्तेहार छ्पवाया है,
जिस किसि को भि हो मै पसंद उसके दरवाजे पे मेरा बुलावा आया है,

मेरी उमर है 21 साल कि और 5 फिट 4 इंच कि कद काया है,
रहने वाला हु मै महराजगंज नगर का और गाजियाबाद को आया है,

मन मे है एक सपना मेरे साफ्ट्वेयर इंजिनीयर बनने का,
यहि सोच रोशन एम.सि.ए. करने को इग्नु युनिवर्सिटि मे आया है,

जिसको भि हो मेरी जरुरत वो मिले मुझसे इसि वक़्त,
क्युंकि इश्क कि दुनिया मे हु नया और मुझे हजारो का खत आया है,

रहेगा आपके भि खतो का इंतेजार इसि महिने कि 30 तक,
क्युंकि वक़्त कहा है मेरे दिल को ज्यादा ये अपनि हि करने पे आया है,

दिया है इस्तेहार इश्क का क्युंकि मेरे दिल पे इश्क का बुखार छाया है..!

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 11 दिसम्बर २०११ (सुबह 10 बजकर 5मिनट)

Tuesday, December 6, 2011

I can feel your heart touching tear,

I can feel your heart touching tear,
But you don’t know… how am i …. without you… my dear,

I want to touch to the top of sky,
But without your support... i can’t fly high,

Without you whenever I think what I have,
Just imagine my life without you… how much I cry,

You love me or not… Oh..h..h my dear,
But live in my life until I here,

Without you whenever I walk on the road,
I feel my life is going just like a robot,

I have feelings a lot’s for you my lover,
Please come back in my life with lot’s of pleasure.

~I am missing you from when u have going away from my life my love~

Written By- Roshan Dhar Dubey,
Written Date & Time 6 December 2011 (Noon 12:50 PM)

Monday, December 5, 2011

Jis Tarah Kaliya Ek Din Ful Ban Jati Hai...

Jis Tarah Kaliya Ek Din Ful Ban Jati Hai,
Ushi Tarah Hamare Sapne Bhi Gulsan Ban Jayenge,
Abhi To Hum Apko Apni Yaad Dilate Hai,
Kal Aap Humko Apni Yaad Dilate Najar Aayenge.
that's my life

W.By-R.D.
W.date-3may11

Saturday, December 3, 2011

दोस्ति का वो एक पल हम कैसे भुला देते,

दोस्ति का वो एक पल हम कैसे भुला देते,
मिले थे इतने वक़्त के बात तो उन्हे हम कैसे रुला देते,
सच तो ये था कि मोहब्बत अभि भि सिर्फ उन्हि से थि मेरे दिल मे ,
मगर वो हमे नहि चह्ते थे तो हम उन्हे कैसे बता देते,
मिले थे इतने वक़्त के बाद तो हम उन्हे कैसे रुला देते,
खुश थे वो उन्हे पाकर जिन्हे वो मोहब्बत करते थे,
मगर हम भि थे खुश क्युंकि हम उनको मोहाब्बत जो करते थे.
रोना तो आ रहा था हमे उंनकि खुसि मे,
मगर वो एक पल को मिले थे तो हम उन्हे कैसे रुला देते,
सांसे तो थम सि गयि थि जुबा भि लड्खडा रहे थे,
मगर उनकि खुशि मे हम भि खुशि के गीत गा रहे थे,
वक़्त हि नहि दिया उन्होने एक वक़्त को इकरार करने का,
और मिले भि जब इत्तने दिनो बाद,
तो वक़्त हि नहि मिला उन्हे गले लगा रोने का,
भीग रहि थि पलके मेरी और हम मुस्कुराये जा रहे थे,
वो खुश हो रहे थे हमे गाता देख कर,
हम जाम मे डुबो के खुद को दर्द मे गा रहे थे,
ये खुशि का पल था उंके लिये मगर हम तो मर मर के जि रहे थे,
वो हमारा दिल हि जनता है कि दोस्ति का कर्ज हम कैसे अदा कर रहे थे,
मिले थे वो एक पल को और हम उन्हे कैसे बता देते ,
वक़्त हि नहि दिया उन्होने वरना हम उनको अपना दिल चीर के दिखा देते,
किस्मत ने नहि दिया मौका वरना तो हम उनको अपना प्यार कह देते,
पहले वो मेरे दोस्त थे मेरे और बाद मे प्यार ये हम कैसे भुला देते,
दोस्ति का वो एक पल हम कैसे भुला देते,
मिले भि तो एक पल को तो हम उन्हे कैसे रुला देते,
कह्ते है जिन्हे हम दोस्त उन्हे हम कैसे रुला देते...!!

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 3 DEC २०११ (दोपहर 3 बजकर 45मिनट)

हम तो थे अंजान मगर पा गये अपनी अनेको पह्चान,

हम तो थे अंजान मगर पा गये अपनी अनेको पह्चान,
जब ना था हमे सहि दिशओ का ज्ञान तब उनके प्यार से जगा मेरे अंदर छिपे इंसान,

रुप थे अनेक मेरे ये जान मै था बहुत हैरान,
मेरे अंदर थे वो इंसान जिंनसे कभि ना मिला था मै नादान,

कोई था खिलडि, तो कोई था अनाडि,
कोई था सायर, तो कोई था प्रोग्रामर,

सच जान ये मै था बहुत हैरान,
मगर ये दिलायेंगे मुझे इस दुनिया मे एक अलग पहचान,

जिनसे मिलेगि वो सफलता जिसकि है मुझे पुर्वानुमान,
आप भि झांक कर देखो खुद मे क्युंकि आप मे भि है वो इंसान.

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हर सख्स के अंदर कयि तरह के लोग होते है...इसका मतलबा ये है कि एक इंसान कयि तरह कि जिंदगि को आसानि से जिता है मगर उसे इस बात का पता नहि चल पाता..!
अत: मेरा आपसे अनुरोध है कि अपने अंदर कि छिपे सच को मेह्सुस करिये और फिर
सफलता आपके कदमो मे होगि..! ******

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 3 DEC २०११ (दोपहर 3 बजकर 30 मिनट)

Friday, December 2, 2011

ये कम्बखत प्यार कैसा है जो अपने प्यार से घबडाता है,


ये कम्बखत प्यार कैसा है जो अपने प्यार से घबडाता है,
दर्द दिल मे होता है और आंसु आंख मे आता है,

परछायि जो पड जाये उसकि तो दिल खुशियो से खिल जाता है,
प्यार हि एक ऐसा झोका है जो आते जाते हर वक़्त रुलाता है,

अब तो ना नीद आती है और ना ही चैन आता है,
जागे या सोये मगर हर पल मे प्यार बडता जाता है.

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 2 DEC २०११ (रात्रि 10 बजकर 25 मिनट)

आज सुबह ना जाने कौन सि सौगात लेकर आयी थी,

आज सुबह ना जाने कौन सि सौगात लेकर आयी थी,
जो जाते जाते हमारी जिन्दगि मे खुबसुरत शाम लेकर आयी है,

जिसे पुरे दिन डुडते रहा मै सुरज के उजाले मे,
उसे ये शाम हमारे पास खुद ब खुद लेकर आयी है,

जिनसे मिलने कि आरजु हर वक़्त दस्तक देती रह्ति थी मेरे दिल मे,
ये शाम उन्हे मेरे दिल के इतने करीब ले आयी है,

कौन कहता है कि चाहत खतम हो जाती है एक वक़्त के बाद ?
ये एक वक़्त हि जो मेरे लिये उनसे एक मुलाकात ले कर आयी है,

****** शुभ सायंकाल*****

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 2 DEC २०११ (दोपहर 2 बजकर 27 मिनट)

सुरज कि किरनो ने फिर अपना उजाला फैलाया है,

सुरज कि किरनो ने फिर अपना उजाला फैलाया है,
मुर्गे ने बांग देकर फिर सबको जगाया है,

मां ने चाय हाथ मे थमा फिर प्यार से सर पे सहलाया है,
पापा ने बाहर से हमको आज फिर आवाज लगाया है,

मेरे भैया ने मुझे आज फिर दोबारा जगाया है,
बहना ने खुशियो से भरा एक चाय का प्याला फिर एक बार बनाया है,

आज मौसम मे फिर पुरानी खुशियों का खुमार छाया है,
लगता है ये रोशन आज सपने मे फिर घर घुम आया है,

जिवन मे मेरे ये कौन सा पल आया है,
अपनी खुशियो को अपने से दूर छोड ये किन खुशियो को पाने आया है?

सुरज कि कस्ति मे रोशनी है मगर,
रोशन अपनी रोशनी कहिं दूर छोड आया है,

आज खुश तो है ये दिल मेरा घर को याद करके मगर,
ना जाने आंखो मे ये आंसुओ का मोति क्युं आया है?

रोशन तो है यहां मगर अपना दिल अपनो के पास छोड आया है,
लगता है ये रोशन एक बार फिर सपने मे अपनो से मिल आया है,

अक्सर जिससे हम प्यार करते है वहि हमारी जिंदगि कहलाया है,
आज सुबह ना जाने क्युं इतनी अछ्छि लगि कि सुरज भी रोशनी से भर आया है,

आप सबको भी मिले मेरे जैसी खुशियो के सपने हर गुजरी रात मे,
यहि दुआ लेकर ये रोशन अपनी रोशनी बिखेरने आया है !

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 2 DEC २०११ (सुबह 7 बजकर 30 मिनट)