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Friday, December 2, 2011

आज सुबह ना जाने कौन सि सौगात लेकर आयी थी,

आज सुबह ना जाने कौन सि सौगात लेकर आयी थी,
जो जाते जाते हमारी जिन्दगि मे खुबसुरत शाम लेकर आयी है,

जिसे पुरे दिन डुडते रहा मै सुरज के उजाले मे,
उसे ये शाम हमारे पास खुद ब खुद लेकर आयी है,

जिनसे मिलने कि आरजु हर वक़्त दस्तक देती रह्ति थी मेरे दिल मे,
ये शाम उन्हे मेरे दिल के इतने करीब ले आयी है,

कौन कहता है कि चाहत खतम हो जाती है एक वक़्त के बाद ?
ये एक वक़्त हि जो मेरे लिये उनसे एक मुलाकात ले कर आयी है,

****** शुभ सायंकाल*****

लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 2 DEC २०११ (दोपहर 2 बजकर 27 मिनट)