Thursday, February 23, 2012

ए हमसफर, मुझको तेरी हि एक तलाश है,


ए हमसफर,
मुझको तेरी हि एक तलाश है,
बिछ्ड के फिर मिलने को,
मेरी एक आस है ।

दुर है बहुत तु कहिं मुझसे,
फिर भी मुझको तेरी हि एक तलाश है ॥

ए हमसफर,
मुझे तेरी ही,
अब एक आस है,
खुशियां तो है,
फिर भी चेहरा उदास है ॥।

तेरी कमी,
हर पल मेरे दिल के पास है,
चाहत मेरी आज कितनी उदास है॥।

धूप तले एक छांव कि आस है,
दुर तलक मुझे,
तुझसे मिलने कि प्यास है,

तेरा चेहरा आज मेरे दिल के कितने पास है,
तु दूर है बहुत कहिं…. मुझसे मगर
तेरी बांते,
हर पल मेरी यादों के साथ है ।
,
ए हमसफर,
मुझको तेरी हि एक तलाश है,
बिछ्ड के फिर मिलने को,
मेरी एक आस है ।
लेखक : रोशन धर दुबे (लेखन तिथि:22 फरवरी 2012 )