Sunday, January 29, 2012

उम्मीद है अभी भी उन पर.....

उम्मीद है अभी भी उन पर,
की वो मेरे प्यार का कतल कभी ना करेंगी ।
राह चलते जिंदगी की सफर मे,
वो मुझे अकेला कभी ना करेंगी ॥
भरोसा जितना कल तक था,
उतना ही आज भी है मुझको उन पर,
की सरे बाजार वो मेरी मोहब्बत को,
निलाम कभी ना करेंगी ॥।
लेखक : रोशन धर दुबे (28 जंनवरी 2012)

Wednesday, January 25, 2012

जो दिया है तुने ऐ मेरे वतन...

जो दिया है तुने ऐ मेरे वतन,
ये जीवन मै तुझको समर्पित करता हुं ।
ऐ मेरे वतन मै तेरी खुशियों के लिये,
आज मै अपनी खुशी का कतल करता हुं ॥
दिला के रहुंगा तेरा हर वो सम्मान,
आज ये मै खुद से वचन लेता हुं ॥।
तेरे दिये जीवन के लिये मै तुझको,
अपनी आखिरी सांस भी अर्पित्त करता हुं ॥॥

*सभी हिंदुस्तानियों को गणतंत्र दिवस की सुभकामनायें*
लेखक : रोशन धर दुबे (25 जंनवरी 2012)

Saturday, January 21, 2012

खेता रहा मै अपनी नावं...


खेता रहा मै अपनी नावं,
अपने उम्मीदों के भवंर मे ।
अब तक मंजिल ना मिली मुझे,
मेरे सपनो के सहर मे ।।
झूमता रहा मै अब तक,
आंसुओ कि मोती लिये,
जो कभी मीला अपनो कि खुशी,
तो कभी जिंदगी के गम मे ॥।

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन का सही तिथि : 18/1/2012

Wednesday, January 18, 2012

कोई तो होता जो आज मेरे दिल कि फरियाद सुनता,

कोई तो होता जो आज मेरे दिल कि फरियाद सुनता,
कितना अकेला हु मै ये कोई मेरे दिल से आज सुनता ।
चारों तरफ अपनो का साया है,
फिर भी ना जाने मेरे जीवन मे ये अकेलापन आज क्युं आया है ॥
कोई तो होता जो मेरे दिल कि आज सुनता,
मेरे अकेलेपन कि कसक को कोई अपनी बातों से भरता ।॥
लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन का सही तिथि : 7/1/2012

Tuesday, January 10, 2012

सोच कर वो बीता बचपन.......

सोच कर वो बीता बचपन,
खिल जाता है मेरा चेहरा ।
दुर से हि देख स्कुल को,
याद आ जाता है वो दिन गुजरा ।।
छलक जाते है आंसु,
लाख पलको से पहरे देने के बावजूद ।
जब भी याद आता है लम्हा,
वो दोस्तो के संग मेरा गुजरा ॥।

लेखक : रोशन (तिथि : 10/1/2012)

Sunday, January 1, 2012

मां ...ओह मेरी मां,


मां ...ओह मेरी मां,
तुझसे हि तो है ये मेरी खुशियों का ये जमाना,

बचपन मे वो तेरा मेरी अंगुलियों को पकड मुझे चलना सिखाना,
तेरा वो अपनी आंचल मे मुझे दर्द मे भी सुकुन से सुलाना,

तेरी ममता का कोई अंत नहि ये तुमसे दूर होके मैंने जाना,
आज भी याद है मुझे वो बार बार तेरा मुझे अपने सिने से लगाना,

जब दुनिया सोति थि सुनि रातो मे तब तेरा मेरे लिये लोरी सुनाना,
आसमां मे बिजलि कडकते हि वो तेरा मुझे झूले से उठा अपनी गोदि मे झूलाना,

बचपन मे धूप तले वो तेरा मुझे अपने आंचल मे छिपाना,
मुझे अब भी याद है मेरे दर्द से तेरी आंखो मे आंसुओं का आना,

मां ...ओह मेरी मां,
तेरी हि आंचल को मैंने आज तक अपनी पुरी दुनिया जाना.

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन तिथि : 1 जनवरी 2012

नया साल मुबारक हो


-------------नया साल मुबारक हो---------

एक कल गुजरा, फिर एक नया कल आयेगा,
गुजरा कल जैसे तैसे गुजरा, आने वाला कल खुसियां ले आयेगा,

एक पडाव आपका खतम हुआ, अब एक नये पडाव को जायेगा,
जिंदगि के हर सुने पल को ये नया साल साल भर जायेगा,

वक़्त से जो हारा, उसे वक़्त हि जितायेगा,
कल तक जो जीता था गम तले, अब वो भि खुशियो के चादर तले आयेगा,

नयि होगि मंजिल और नया होगा हर सफर, इतिहास के पन्नो मे ये गुजरा कल लिख जायेगा,
ये आने वाला नया साल आपकि बिखरि जिंदगि को जोड नये रंगो से भर जायेगा...!

लेखक :रोशन धर दुबे (तिथि : 31:12:2011)