Saturday, January 21, 2012

खेता रहा मै अपनी नावं...


खेता रहा मै अपनी नावं,
अपने उम्मीदों के भवंर मे ।
अब तक मंजिल ना मिली मुझे,
मेरे सपनो के सहर मे ।।
झूमता रहा मै अब तक,
आंसुओ कि मोती लिये,
जो कभी मीला अपनो कि खुशी,
तो कभी जिंदगी के गम मे ॥।

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन का सही तिथि : 18/1/2012

No comments:

Post a Comment

Here Please Comment Upon My Shayri.....!

Thanks & Regards By- Roshan Dhar Dubey
[Email Id-rddubeyup@gmail.com]