आज जो था वो कल मे गुजर गया,
कल जो आने वाला था वो आज मे उतर गया !
धुल कभि चाट्टान मे तो चट्टान कभि धुल मे बदल गया,
उडा था जो उंचायियो कि तरफ वो आज समुंदर मे मिल गया !!
एक पल मे उड्ता पतंग कट के जमि पे गिर गया,
जिसने किया था गुमान खुद पर वो वो आज खुद ब खुद मिट गया !!!
ना जाने किसने दि थी आवाज मुझे जो मर के भी जीवीत हो गया,
सिख सच कि आस्था को मन मे मेरे प्यार का साहिल जाग गया !V
जो कल था अकेला वो आज अपनो से मिल गया,
जो तन्हायियो मे सोता था उसे आज सपनो का साथ मिल गया V
चला जिस रास्ते पर मै वो रास्ता हि सबकि जीन्दगी बदल गया,
आज जो मिला वक्त से वक्त भि मेरे संग चल दिया VI
अब जो उडा आसमा कि ओर तो बादल भी डर गया,
छेद कर उस झूठ के बादल को जो मै अपनि मंजिल को पहुंच गया VII
जो गुजरा हुआ कल था वो आज मे बदल गया,
कल जो आने वाला था वो बिते कल मे गुजर गया VIII
लेखक:रोशन दूबे
लेखन दिनाँक: 26 अगस्त २०११