Tuesday, September 18, 2012

रात का सेहरा हो, उनपे ख्वाबों का पहरा हो...



रात का सेहरा हो, उनपे ख्वाबों का पहरा हो,
आसमां मे बादल हों, और हवाओं मे ठण्ड गहरा हो,


हर तरफ झरनों से कल कल कि आवाज आये,
और फिजाओं मे एक हसीन चांन्द नजर आये,
झुमे सारे पेड पौधे और चिडिया गीत गाये,
एक चमकता सितारा जब मेरे करिब आये,


बादल रुक रुक के गरजे, बुंद बुंद पानी बरसे,
चले जब मेरी ओर, रुक रुक वो मतवाली चाल,
देख उसका यौवन, खुदा भी उसे पाने को तरसे,


देख उसकि म्रग्नयनी आंखों मे,
मेरा रोम रोम उसको मिलने को तरसे,
उसकि आंखों मे बस जाने कि खातिर,
बरसों से मेरी आंखों मे मोती है बरसे,


चांद जब मेरे घर को आये,
वो भी देख हुस्न उसका घबराये,
बिन सुरज वो भी चमकता जाये,
देख भव्य सुंदरता, उसका भी मन ललचाये,


जागु मै ख्वाबों मे पुरी पुरी रात,
फिर भी पाने को उसका साथ मेरा मन तरस जाये,
जैसे जैसे चाहत का ये गागर भरता जायें,
चांद अकेला मुझे छोड्ने को, सुबह सवेरे तक आये,


सुरज के आते हि मेरे सर पर,
वो मुझसे दूर को चली जाये,
देखता रहुं मै रात कि राह,
कब वो फिर आये और मुझको मेरी चाहत दे जाये..!!

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन तिथि : 19 जुन 2012

Sunday, April 15, 2012

माथे पे लगा के तिलक तेरे धूल का, ऐ मेरे वतन मै तुमको नमन करता हुं ।


माथे पे लगा के तिलक तेरे धूल का,
ऐ मेरे वतन मै तुमको नमन करता हुं ।

तुम्हारे हि दिये हुए गंगा जल से,
मै अपने तन-मन को धुलता हुं ॥

तुझमे हि समायी है पुरी दुनिया मेरी,
तेरे दिये अन्न से मै अपना जिविकोपार्जन करता हुं ॥।

तुम हि मेरे दाता, तुम हि हो मेरे विधाता,
तुममे हि लिखि है, मेरी जिवन कि सारी गाथा ॥॥

ऐ मेरे वतन, मै तुम्हे अपना सब कुछ अर्पन करता हुं,
तुमने हि दि है मुझे ये दुनिया,
तुमको हि अपनी दुनिया अर्पन करता हुं ॥॥।

ऐ मेरे इश्वर तुमने हि दि है मुझे ये जिंदगी,
आज तुम्हे अपना जिवन समर्पन करता हु ॥।॥।

तुम्हारी काया है विशाल,
तुममे समाया मेरा पुरा जिवन काल,
तुमको ऐ मेरे विधाता सत-सत नमन करता हुं ॥॥॥।

तुम हो अतुलनिय ,
तुममे छिपि इस दुनिया कि नींव,

तुम्हारा दिया हि है यहां सब कुछ,
आज तुम्हे हि अर्पन करता हुं॥॥॥॥

लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन तिथी : 4 अप्रैल 2012

Thursday, February 23, 2012

ए हमसफर, मुझको तेरी हि एक तलाश है,


ए हमसफर,
मुझको तेरी हि एक तलाश है,
बिछ्ड के फिर मिलने को,
मेरी एक आस है ।

दुर है बहुत तु कहिं मुझसे,
फिर भी मुझको तेरी हि एक तलाश है ॥

ए हमसफर,
मुझे तेरी ही,
अब एक आस है,
खुशियां तो है,
फिर भी चेहरा उदास है ॥।

तेरी कमी,
हर पल मेरे दिल के पास है,
चाहत मेरी आज कितनी उदास है॥।

धूप तले एक छांव कि आस है,
दुर तलक मुझे,
तुझसे मिलने कि प्यास है,

तेरा चेहरा आज मेरे दिल के कितने पास है,
तु दूर है बहुत कहिं…. मुझसे मगर
तेरी बांते,
हर पल मेरी यादों के साथ है ।
,
ए हमसफर,
मुझको तेरी हि एक तलाश है,
बिछ्ड के फिर मिलने को,
मेरी एक आस है ।
लेखक : रोशन धर दुबे (लेखन तिथि:22 फरवरी 2012 )

Sunday, January 29, 2012

उम्मीद है अभी भी उन पर.....

उम्मीद है अभी भी उन पर,
की वो मेरे प्यार का कतल कभी ना करेंगी ।
राह चलते जिंदगी की सफर मे,
वो मुझे अकेला कभी ना करेंगी ॥
भरोसा जितना कल तक था,
उतना ही आज भी है मुझको उन पर,
की सरे बाजार वो मेरी मोहब्बत को,
निलाम कभी ना करेंगी ॥।
लेखक : रोशन धर दुबे (28 जंनवरी 2012)